द एट्थ होम (भाग8)
आज सच में एक भयानक अंधेरी रात थी। वहीं पहाड़ी के बीचों-बीच बनी उस गुफा के बाहर ठंडी हवा अपने झोंके मार रही थी। वातावरण सन्नाटे से भरा हुआ था और कभी-कभार झाड़ियों के बीच से आती सरसराहट मानो किसी अनजाने खतरे का संकेत दे रही थी। अक्षता गुफा के बाहर खड़ी थी। उसके कदमों के नीचे सूखी पत्तियां चरमरा रही थीं और उसके दिल की धड़कन इतनी तेज हो चुकी थी कि उसे लगा जैसे कोई और भी सुन सकता है।

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