द एट्थ होम (भाग-2)
शाम का समय था जब उस हवेली के सामने गाड़ी में से सामान निकालते हुए अक्षता को चोट लग गयी तो एक आदमी ने आकर रुमाल उसकी चोट पर रख दिया। अक्षता ने तुरंत उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखें सिकुड़ गयीं। अगस्त्य आगे आया और उसने परिचय करवाया "अक्षु ! ये प्रोफेसर शिवाकाय ठाकुर हैं। इन्होंने ही नौ साल पहले मुझे ये हवेली बेची थी।"

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